कोरोना : भारत के लिए आइना भी
चीन से शुरू हुआ यह कोरोना महामारी सम्पूर्ण विश्व में अब तक लाखो जाने ले चुका है और न जाने कितनो की बलि और लेगा.
भारत में भी इस का कहर तो जारी है पर दूसरे देशो की अपेक्षा आक्रामकता कम है इसे कुदरत या भगवान का करिश्मा ही कहा जा सकता है अन्यथा हमारे देश के हस्पतालो में दवाओं, जीवन रक्षक साजो सामान की कितनी कमी है तथा इस त्रासदी से निपटने के लिए धन ,और खाद्यान की उपलब्ता का नजारा तो आप टीवी चैनेलो के जरिये खूब देख चुके हो
मै इस कोरोना महामारी को एक आईने के रूप में देखता हु क्यों की इस महामारी ने कई माइनो में हमे आइना दिखाया है जैसे भारत ने कितने अरबो खरबो बहुत ही छोटी छोटी वस्तुओ के आयात पर लुटाया है और वही ज़्यादातर हमारे वित्मंत्रीओ और प्रधान मंत्रीओ ने जीडीपी का तो रोना रोया पर कभी यह नहीं देखा की हम कौन कौन सी वस्तुए आयात करते है और क्यों न हम आयात को कम करे .इतने गैर जिम्मेदार कैसे हो गए हमारे राजनेता जो सत्तर सालो तक आयात पर धन लुटाते रहे और विदेशो को अमीर बनाते रहे . आप इन जनसेवको की विदेश यात्राऔ का खरच,शाही ठाठ बाट देखो तो भला कौन कहेगा की ये महाराजाओ से कम है चलो जनता ने ये सब भी बर्दास्त कर लिया पर आप विदेश गए तो क्या शिखा आप ने
छोटे छोटे देश जो कल तक हम से भी गरीब हुआ करते थे कैसी कमाल की उन्नति की है उनदेशो के बारे में लेख लिखने से मन भाव विभोर हो जाता है पर जब भारत की वर्तमान दुर्दशा को लिखता हु तो मन रोता है और कलम ठहर सी जाती है एक देश साउथ कोरिया जिसके पास कोई प्राकर्तिक संसाधन नहीं है और जो हम से भी एक साल बाद में आज़ाद हुआ उस देश में आज ढूंढे से गरीब नहीं मिलता है और बेरोजगारी दर तो मात्र 3 .5 % है उनके LG ,सैमसंग और हुंडई जैसे ब्रांड हर भारतीय की जबान पर है और हो भी क्यों ना उन के राजनेताओ ने देश को गरीबी से उठाने के लिए मेहनत की हर वर्ग को सामान अवसर दिए और अपने देश का पैसे किसी कीमत बाहर नहीं जाने दिये और हमारे वालो ने नेचुरल रिसोर्सेज को बेचा ,ज़्यादा से ज़्यादा साजो सामान आयात किया और काळा कारनामो से पैसे कमा कर स्विस बैंक में जमा कराया और क्या क्या किया आप सब ज्ञानी है सब जानते है
इस कोरोना संकट के दौरान एक उल्लेख मेरे संज्ञान में आया वो ये की मेरे एक पारिवारिक मित्र जो अभी भारत के एक राज्य के मुख्य मंत्री के प्रमुख सलाहकार है ने बताया की मार्च में हम को अपने राज्य के लिए जो इम्पोर्टेड PPE किट 4000 रुपए में
भी नहीं मिल रही थी वो आज हमारे इंजीनियरो ने मात्र 800 रुपए में तैयार क़र दी और ये उन फैक्ट्रीयो में बनाई गई जिनमे बेड शीट आदि हैंडलूम का सामान बनाया जाता है ऐसे कमाल की कला है भारत के लोगो में . जरुरत है सिर्फ मजबूत औद्योगिक बुनयादी ढांचा खड़ा करने की और सख्त अनुसाशन के साथ देश के प्रतिसमर्पण की
दूसरा पहलु एक और भी है वो ये की पुरे देश में मजदूरों के पलायन से यह भी आप भ्रम दूर हो गया की हमारे देश का तथा कथित विकास सिर्फ कुछ ही शहरों तक सीमित है बाकि देश तो बहुत गरीब हालात में है शायद कोरोना नहीं आता तो हमारे सामने देश की यह असली तस्वीर आ ही नहीं पाती इस साथ साथ ये भी गौरतलब है की ऐसी विपदा का सामना करने के लिए हम आर्थिक रूप से कितने सक्ष्म हैऔर कितने दिन तक लोगो को घर बिठा कर खिला सकते है खुल गई ढोल की पोल
बड़े शर्म से कहना पड़ रहा है की छत्तीसगढ़ जैसे राज्य जो पिछले चुनाव में शराबबंदी के नारे पर जीत कर आए थे वो लॉक डाउन में लोगो को शराब की होम डिलीवरी तक का ऑफर कर रहे थे एक और विकसित राज्य हरयाणा जहा चुनाव में सरकार ने कहा था की राज्य में कम से कम ठेके खोले जाएंगे पर वो भी लॉक डाउन में लोगो की परेशानिया दूर करने की बजाए ठेके खोलने के प्रति ज़्यादा तत्पर दिखी .ऐसा इस लिए हो रहा है क्यों की राज्यों ने कभी भी वैकल्पिक आमदनी के साधन बनाए ही नहीं
एक शिक्षक एवं लेखक होने के नाते मेरा फर्ज बनता है आप को देश के सामने चुनोतियो और सम्भावनाओ से रूबरू करवाऊ
ताकि मेरे देश के राजनेता और जनता ये सोचने लगे की गरीबी हमें भगवान ने नहीं दी बल्कि हम ने खुद ही इस को अपना रखा है और अब इस से निजात पाना है .
जय हिन्द ,जय भारत
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