"COVID 19: जैविक विविधता की सुरक्षा के लिए एक जागरण"

जैविक विविधता पूरे विश्व के लिए एक संपत्ति :प्रो सिंह

जैव विविधता से हमारा तात्पर्य पृथ्वी पर विभिन्न प्रजातियों से है। इसमें वनस्पति और जीव दोनों शामिल हैं।
जैविक विविधता पूरे विश्व के लिए एक संपत्ति है।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में प्रजातियों की घटती संख्या ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर  दिया है कि क्या हम इस बहुमूल्य उपहार के लायक हैं जो प्रकृति ने हमें दिया है? हम वनों की कटाई, संसाधनों के अति-दोहन, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और जल प्रदूषण  सहित जैव विविधता के लिए खतरों की एक बानगी बन  रहे हैं। लेकिन, प्रकृति घोर  संकट से गुजर रही  है। हम रिकॉर्ड किए गए मानव इतिहास में किसी भी अन्य समय की तुलना में 1,000 गुना अधिक दर से प्रजातियों को खो रहे हैं और एक मिलियन प्रजातियां विलुप्त होने का कगार पर पहुंच गई  हैं।

वैसे तो भारत को हर तरह की  विविधताऔ का देश कहा जाता है यहाँ  हर चीज में   विविधता पाई जाती है  भारत के एक राज्य  हरियाणा  की प्रसिद कहावत के अनुसार "कोस कोस पे  बदले पानी  चार कोस पे वाणी "  अर्थात् हमारे देश भारत में हर एक कोस की दुरी पर पानी का स्वाद बदल जाता है और.हर चार कोस में भाषा यानि बोली बदल जाती है तो इस से आप अंदाजा लगा सकते है की कितनी  विविधता है इस देश में

वैसे तो साल 2020  की सुरुवात ही प्रकृति में बदलाव से हुई है कोरोना महमारी  के कारण दुनिया के सभी देशों हवाई , जल और थल यातायात रोक दिए जिस से वायु प्रदूषण बहुत ही कम हो गया तथा उद्योग भी बंद है जिसके कारण लजल थल और वायु तीनो शुद्व हो रहे है पर यह आगे ऐसे ही रहे इस और सोचना होगा
जलवायु आपातकाल और प्राकृतिक संसाधनों के हमारे अति-दोहन को हल करने के लिए कोई त्वरित तकनीकी सुधार नहीं हैं। लेकिन हमारे पास प्रकृति है, इसकी विशाल पुनर्स्थापना शक्ति और सबसे अधिक लागत प्रभावी जलवायु समाधानों में से कुछ हैं
प्रकृति के साथ काम करके, हमारे पास  एक तिहाई से अधिक उत्सर्जन को कम करने की क्षमता तो  है, लेकिन हमें अभी शुरू करना होगा तभी  हम  सतत विकास पदक प्राप्त कर सकेंगे .
हमें यह पता लगाने  की आवश्यकता है कि प्रकृति स्व-चिकित्सा   कर सकती है: । इसे हम प्रकृति-आधारित समाधान कहते हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी पर जीवन अपने छठे विलुप्ति का सामना करने के कगार पर है और इसके पीछे का कारण कोई प्राकृतिक आपदा नहीं है बल्कि मानव है। हम पृथ्वी के प्राथमिक उत्पादन के सबसे भयानक शिकारी हैं और फिर भी हमें इसकी ज्यादा परवाह नहीं है
वास विनाश, समुद्री प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसे विभिन्न जैव विविधता मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए।
जैविक विविधता का उद्देश्य है कि दुनिया में अभूतपूर्व पर्यावरण संकट के बारे में जागरूकता बढ़ाना और पृथ्वी पर जैव विविधता की रक्षा कैसे की जाए।

कार्बन उत्सर्जन को कम  करते हुए भूमि क्षरण को कम करने के लिए विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में एग्रोफोरेस्ट्री, वनीकरण और वनीकरण कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता फैलाना हमारा परम कर्त्तव्य है

जलवायु-स्मार्ट कृषि अपना कर  जलवायु परिवर्तन के तहत स्थायी खाद्य सुरक्षा को सुरक्षित करने के लिए कृषि रणनीतियों को विकसित करने के लिए एक दृष्टिकोण बनाना होगा और  स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हितधारकों को उनकी स्थानीय स्थितियों के अनुकूल कृषि रणनीतियों की पहचान करने में मदद करने का साजैव विविधता धन प्रदान करवाना होगा ।
और यह सभी समाधान कर के हम अपनी जीवन दाहिनी जैव विविधता  को बचा सकते है 

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