जरुरत :---चीन को सबक सिखाने के लिए सीमा और बाजार पर एक साथ चोट
सीमा और चीनी बाजार पर एक साथ चोट का सही वक्त
ऐसे समय में जब विश्व व्यवस्था को वैश्विक महामारी से निपटने के लिये आपसी सहयोग, समन्वय एवं सहभागिता की आवश्यकता है, विश्व व्यवस्था के दो बड़े राष्ट्र भारत व चीन सीमा विवाद के कारण आपस में उलझे हुए हैं। हालिया विवाद का केंद्र अक्साई चिन में स्थित गालवन घाटी (Galwan Valley) है, जिसको लेकर दोनो देशों की सेनाओं में 15 जून 2020 को हिंसक झड़प हो गई, इस झड़प में दोनों देशों के कई सैनिक शहीद हो गए। इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) पर युद्ध जैसे हालात बन गए हैं।
इस प्रकार की जटिल परिस्थिति में भारत में घरेलू स्तर पर चीन के आर्थिक बहिष्कार का मुद्दा भी चर्चा के केंद्र में है। जन समुदाय का एक बड़ा भाग चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर तत्काल प्रतिबंध की माँग कर रहा है। प्रारंभिक स्तर पर भारत सरकार ने भी संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, हालाँकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध सुरक्षा मानकों पर खरा न उतरने के कारण लगाए गए हैं। ऐसे में यह प्रश्न उठाना लाज़िमी है कि क्या भारत में चीन के उत्पादों पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा देना चाहिये?
चीन को सबक सिखाने के लिए सीमा और बाजार पर एक साथ चोट करनी होगी
बहिस्कार और वास्तु निर्माण साथ साथ करना समय की मांग भी है और अपनी मुद्रा को रोके रखने का एक साधन भी
सर्व प्रथम स्वदेसी कच्चा माल आधारित उद्योग क्षेत्र में कुछ ऐसी वस्तुओ का विश्लेषण करूँगा जिनको उच्च तकनीक का इस्तेमाल करके विश्व उत्पाद बना कर निर्यात किया जा सकता है जैसे टाइल एवं सेनेटरी वेयर जिसका कच्चा माल सिलिका पत्थर भारत के राज्य राजस्थान मे भरपूर मात्रा में उपलब्ध है अभी तक भारत निर्यात में तीसरे पायदान पर रहते हुए
विश्व खपत का लगभग 7 % निर्यात करता है जब की चीन 43 % निर्यात के साथ विश्व में पहले स्थान पर है तो जाहिर है इस क्षेत्र मे काफी सम्भावना है और यह क्षेत्र भी चीन से छिना जा सकता है
वही मार्किट रिसर्च इंक नामक सर्वे कंपनी के अनुसार वर्तमान समय में लगभग 400 बिलियन डॉलर का विश्व वुडेन फर्नीचर मार्किट है जो एक अनुमान के मुताबिक बढ़ कर 2025 तक 600 बिलियन डॉलर का हो जाएगा परन्तु आप को जान कर हैरानी होगी कि भारत टॉप 20 निर्यातक देशो मे भी नहीं है जब कि कच्चे माल के लिहाज से भारत मे प्लाईवुड ,लकड़ी ,और वुडक्राफ्ट कारीगर आदि सब कुछ उपलब्ध है तो जाहिर है इस क्षेत्र मे भरपूर उम्मीदे बरकरार है जो बेरोजगारी कम करने भी कारगर साबित हो सकता है
लैदर एवं फुटवियर क्षेत्र
गहन श्रमिक क्षमता वाला लैदर एवं फुटवियर क्षेत्र निर्यात मे भारत नौवें पायदान पर है और विश्व खफत का मात्र 3.5 फीसदी माल ही भारत द्वारा निर्यात किया जाता है जब की चीन 16.5 % निर्यात कर प्रथम स्थान पर बना हुआ है और मात्र 10 करोड़ की आबादी वाला छोटा सा एशियाई देश वियतनाम 12 % निर्यात के साथ विश्व में तीसरे स्थान पर है
मजे की बात तो यह है कि इस उद्योग के लिए कच्चा माल भी भारत मे ही उपलब्ध है इस क्षेत्र मे भी व्यापक सम्भावना मौजूद है
फैशन एवं लाइफस्टाइल
फैशन एवं लाइफस्टाइल से जुड़ा कपड़ा और परिधान के निर्यात क्षेत्र मे भी भारत कोई बहुत अच्छा नहीं कर रहा है मात्र सालाना 37 बिलियन डॉलर निर्यात कर वह पाचवे स्थान पर ही है जब कि हजारो साल पहले विश्व प्रसिद सिल्क और कॉटन का उत्पादक तथा कुशल कारीगरों वाला भारत देश क्या कर रहा है समझ से परे है इन वस्तुओ का भी चीन सालाना 267 बिलियन डॉलर का निर्यात कर प्रथम स्थान पर है इस क्षेत्र में भी चीन को टक्कर दी जा सकती है
रसायन निर्माण
आधुनिक दुनिया का सबसे महत्व पूर्ण उत्पाद रसायन निर्माण एवं निर्यात मे भी चीन कुल विश्व निर्यात का लगभग 14 % अकेला हिस्सेदार है जब कि भारत मात्र 3 .5 % के साथ विश्व मे 10 वे पायदान पर है
इस क्षेत्र मे भारत केमिकल टेक्नोलॉजी एवं अनु संथान के बल पर नए नए अविष्कार कर के तथा देश मे उपलब्ध उत्पादों का पूर्ण इस्तेमाल कर अपनी घरेलु जरुरत कि पूर्ति के साथ साथ निर्यात को बड़ाने की असीम संभावनाए भारत में है
इलेक्ट्रॉनिक वस्तु निर्माण क्षेत्र
अब मै एक ऐसे उत्पाद का उल्लेख जरूर करना चाहुँगा जो लगभग हर इलेक्ट्रॉनिक वस्तु जैसे मोबाइल फ़ोन , कंप्यूटर ,उपग्रह प्रणाली , सेना के सुरक्षा उपकरण राडार ,टैंक आदि का का मूल आधार है वो है एक छोटा सी वस्तु सेमि कंडक्टर डिवाइस "चिप "और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट कॉम्पोनेन्ट जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद की दुनिया के कई देशो के लिए वरदान साबित हुए इस चिप
को बनाने के लिए सिलिकॉन की जरुरत होती है जिसका भारत में पर्यापत भंडार है और स्किल्ड मैनपावर भी है तो एक जज्बे के साथ चिप हार्डवेयर निर्माण में भारत ऐसे कमाल कर सकता जैसे उसने सॉफ्टवेयर निर्माण एवं सुचना टेक्नोलॉजी में किया है अगर भारत को सही मायने में विश्व आर्थिक महा शक्ति बनना चाहता है और चीन को रास्ते से हटाना चाहता है तो ये चिप निर्माण उसकी रिड की हड्डी तोड़ सकता है आप को बताता चलु की वर्तमान में भारत देश मात्र 0 .03 % ही निर्यात करता है बल्कि इस के ठीक विपरीत चिप "और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट कॉम्पोनेन्ट का अरबो डॉलर कीमत का आयात करता है जब की लाखो इंजीनियरो की फौज हर साल विभिन्न संस्थानों से निकल कर बेरोजगार सड़को पर धके खा रहे है अनुसन्धान के बल पर इस क्षेत्र मे भी व्यापक संभावना मौजूद है
हम आयात तो कम करे ही साथ साथ सवदेशी निर्माण कारखानों को भी पूरी ताकत के साथ स्थापित करे ताकि घरेलू मांग को
पूरा करने के साथ ही निर्यात के अवसरों का भी भरपूर फायदा उठाए
संभावित विश्व बाजार
एक तो कोरोना कांड में दोषी करार दिए जाने से चीन आज के वैश्विक पटल पर अलग थलक पड़ गया हैऔर व्यापक क्रोध एवं विरोध झेल रहा है वही दूसरा भारत के साथ सीमा विवाद से आपने बने बनाए बाजार को डूबा रहा है
वही भारत के लिए यूरोप , लातिनी अमरीका के देशो का विश्व बाजार वर्तमान हालत में संजीवनी बूटी साबित हो सकता है वही
अफ्रीका महादीप के देश अति गरीब और अविकासशील है जहा प्राकृतिक संसाधन तो बहुतायत मे है एक भारतीय उद्योगपति अनिल धाभाई जो इथोपिया में मार्बल माइनिंग में व्यापार करते है के मुताबिक चीन ने अफ़्रीकी देशो में घरेलु सामान से लेकर माइनिंग ,बिल्डिंग एयरपोर्ट ब्रिज कंस्ट्रक्शन , टेलीकॉम क्षेत्र आदि लगभग सभी क्षेत्रों में सेंध लगा ली है पर अफ़्रीकी देश राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी ने गोरो से मुक्ति पाने के लिए रंगभेद विरोधी आंदोलन में सहयोग करने के कारण भावात्मक लगाव रखते है और भारत की तरह वहा भी इंग्लिश भाषा अधिक उपयोग में लाई जाती है
इस लिए वो भारत के साथ व्यापार में ज़्यादा अनुकूल होते है बजाए चीन के
.चीनी भाषा ,चीनी माल की बेकार गुणवत्ता और लोगो से नफरत करते है ज़्यादातर अफ़्रीकी लोग .
अभी ताज़ा उदाहरण है एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मात्र 2000 के लगभग वेंटीलेटर है पुरे अफ़्रीकी महादीप में वही आबादी 1 .35 बिलियन है तो वो देश लगभग सभी जीवन रक्षक दवा ,मास्क,किट , वेंटीलेटर की मांग कर रहे है तो आप अंदाजा लगा सकते है की बाजार किस कदर आप के लिए उपलब्ध है तो स्वामी विवेकानंद के कथन अनुसार उठो चलो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल हासिल ना हो तो यह उचित समय दुश्मन को दोहरी मार मारने का सीमा और बाजार पर एक साथ ,
सीमा और चीनी बाजार पर एक साथ चोट का सही वक्त
ऐसे समय में जब विश्व व्यवस्था को वैश्विक महामारी से निपटने के लिये आपसी सहयोग, समन्वय एवं सहभागिता की आवश्यकता है, विश्व व्यवस्था के दो बड़े राष्ट्र भारत व चीन सीमा विवाद के कारण आपस में उलझे हुए हैं। हालिया विवाद का केंद्र अक्साई चिन में स्थित गालवन घाटी (Galwan Valley) है, जिसको लेकर दोनो देशों की सेनाओं में 15 जून 2020 को हिंसक झड़प हो गई, इस झड़प में दोनों देशों के कई सैनिक शहीद हो गए। इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) पर युद्ध जैसे हालात बन गए हैं।
इस प्रकार की जटिल परिस्थिति में भारत में घरेलू स्तर पर चीन के आर्थिक बहिष्कार का मुद्दा भी चर्चा के केंद्र में है। जन समुदाय का एक बड़ा भाग चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर तत्काल प्रतिबंध की माँग कर रहा है। प्रारंभिक स्तर पर भारत सरकार ने भी संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, हालाँकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध सुरक्षा मानकों पर खरा न उतरने के कारण लगाए गए हैं। ऐसे में यह प्रश्न उठाना लाज़िमी है कि क्या भारत में चीन के उत्पादों पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा देना चाहिये?
चीन को सबक सिखाने के लिए सीमा और बाजार पर एक साथ चोट करनी होगी
बहिस्कार और वास्तु निर्माण साथ साथ करना समय की मांग भी है और अपनी मुद्रा को रोके रखने का एक साधन भी
सर्व प्रथम स्वदेसी कच्चा माल आधारित उद्योग क्षेत्र में कुछ ऐसी वस्तुओ का विश्लेषण करूँगा जिनको उच्च तकनीक का इस्तेमाल करके विश्व उत्पाद बना कर निर्यात किया जा सकता है जैसे टाइल एवं सेनेटरी वेयर जिसका कच्चा माल सिलिका पत्थर भारत के राज्य राजस्थान मे भरपूर मात्रा में उपलब्ध है अभी तक भारत निर्यात में तीसरे पायदान पर रहते हुए
विश्व खपत का लगभग 7 % निर्यात करता है जब की चीन 43 % निर्यात के साथ विश्व में पहले स्थान पर है तो जाहिर है इस क्षेत्र मे काफी सम्भावना है और यह क्षेत्र भी चीन से छिना जा सकता है
वही मार्किट रिसर्च इंक नामक सर्वे कंपनी के अनुसार वर्तमान समय में लगभग 400 बिलियन डॉलर का विश्व वुडेन फर्नीचर मार्किट है जो एक अनुमान के मुताबिक बढ़ कर 2025 तक 600 बिलियन डॉलर का हो जाएगा परन्तु आप को जान कर हैरानी होगी कि भारत टॉप 20 निर्यातक देशो मे भी नहीं है जब कि कच्चे माल के लिहाज से भारत मे प्लाईवुड ,लकड़ी ,और वुडक्राफ्ट कारीगर आदि सब कुछ उपलब्ध है तो जाहिर है इस क्षेत्र मे भरपूर उम्मीदे बरकरार है जो बेरोजगारी कम करने भी कारगर साबित हो सकता है
लैदर एवं फुटवियर क्षेत्र
गहन श्रमिक क्षमता वाला लैदर एवं फुटवियर क्षेत्र निर्यात मे भारत नौवें पायदान पर है और विश्व खफत का मात्र 3.5 फीसदी माल ही भारत द्वारा निर्यात किया जाता है जब की चीन 16.5 % निर्यात कर प्रथम स्थान पर बना हुआ है और मात्र 10 करोड़ की आबादी वाला छोटा सा एशियाई देश वियतनाम 12 % निर्यात के साथ विश्व में तीसरे स्थान पर है
मजे की बात तो यह है कि इस उद्योग के लिए कच्चा माल भी भारत मे ही उपलब्ध है इस क्षेत्र मे भी व्यापक सम्भावना मौजूद है
फैशन एवं लाइफस्टाइल
फैशन एवं लाइफस्टाइल से जुड़ा कपड़ा और परिधान के निर्यात क्षेत्र मे भी भारत कोई बहुत अच्छा नहीं कर रहा है मात्र सालाना 37 बिलियन डॉलर निर्यात कर वह पाचवे स्थान पर ही है जब कि हजारो साल पहले विश्व प्रसिद सिल्क और कॉटन का उत्पादक तथा कुशल कारीगरों वाला भारत देश क्या कर रहा है समझ से परे है इन वस्तुओ का भी चीन सालाना 267 बिलियन डॉलर का निर्यात कर प्रथम स्थान पर है इस क्षेत्र में भी चीन को टक्कर दी जा सकती है
रसायन निर्माण
आधुनिक दुनिया का सबसे महत्व पूर्ण उत्पाद रसायन निर्माण एवं निर्यात मे भी चीन कुल विश्व निर्यात का लगभग 14 % अकेला हिस्सेदार है जब कि भारत मात्र 3 .5 % के साथ विश्व मे 10 वे पायदान पर है
इस क्षेत्र मे भारत केमिकल टेक्नोलॉजी एवं अनु संथान के बल पर नए नए अविष्कार कर के तथा देश मे उपलब्ध उत्पादों का पूर्ण इस्तेमाल कर अपनी घरेलु जरुरत कि पूर्ति के साथ साथ निर्यात को बड़ाने की असीम संभावनाए भारत में है
इलेक्ट्रॉनिक वस्तु निर्माण क्षेत्र
अब मै एक ऐसे उत्पाद का उल्लेख जरूर करना चाहुँगा जो लगभग हर इलेक्ट्रॉनिक वस्तु जैसे मोबाइल फ़ोन , कंप्यूटर ,उपग्रह प्रणाली , सेना के सुरक्षा उपकरण राडार ,टैंक आदि का का मूल आधार है वो है एक छोटा सी वस्तु सेमि कंडक्टर डिवाइस "चिप "और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट कॉम्पोनेन्ट जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद की दुनिया के कई देशो के लिए वरदान साबित हुए इस चिप
को बनाने के लिए सिलिकॉन की जरुरत होती है जिसका भारत में पर्यापत भंडार है और स्किल्ड मैनपावर भी है तो एक जज्बे के साथ चिप हार्डवेयर निर्माण में भारत ऐसे कमाल कर सकता जैसे उसने सॉफ्टवेयर निर्माण एवं सुचना टेक्नोलॉजी में किया है अगर भारत को सही मायने में विश्व आर्थिक महा शक्ति बनना चाहता है और चीन को रास्ते से हटाना चाहता है तो ये चिप निर्माण उसकी रिड की हड्डी तोड़ सकता है आप को बताता चलु की वर्तमान में भारत देश मात्र 0 .03 % ही निर्यात करता है बल्कि इस के ठीक विपरीत चिप "और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट कॉम्पोनेन्ट का अरबो डॉलर कीमत का आयात करता है जब की लाखो इंजीनियरो की फौज हर साल विभिन्न संस्थानों से निकल कर बेरोजगार सड़को पर धके खा रहे है अनुसन्धान के बल पर इस क्षेत्र मे भी व्यापक संभावना मौजूद है
हम आयात तो कम करे ही साथ साथ सवदेशी निर्माण कारखानों को भी पूरी ताकत के साथ स्थापित करे ताकि घरेलू मांग को
पूरा करने के साथ ही निर्यात के अवसरों का भी भरपूर फायदा उठाए
संभावित विश्व बाजार
एक तो कोरोना कांड में दोषी करार दिए जाने से चीन आज के वैश्विक पटल पर अलग थलक पड़ गया हैऔर व्यापक क्रोध एवं विरोध झेल रहा है वही दूसरा भारत के साथ सीमा विवाद से आपने बने बनाए बाजार को डूबा रहा है
वही भारत के लिए यूरोप , लातिनी अमरीका के देशो का विश्व बाजार वर्तमान हालत में संजीवनी बूटी साबित हो सकता है वही
अफ्रीका महादीप के देश अति गरीब और अविकासशील है जहा प्राकृतिक संसाधन तो बहुतायत मे है एक भारतीय उद्योगपति अनिल धाभाई जो इथोपिया में मार्बल माइनिंग में व्यापार करते है के मुताबिक चीन ने अफ़्रीकी देशो में घरेलु सामान से लेकर माइनिंग ,बिल्डिंग एयरपोर्ट ब्रिज कंस्ट्रक्शन , टेलीकॉम क्षेत्र आदि लगभग सभी क्षेत्रों में सेंध लगा ली है पर अफ़्रीकी देश राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी ने गोरो से मुक्ति पाने के लिए रंगभेद विरोधी आंदोलन में सहयोग करने के कारण भावात्मक लगाव रखते है और भारत की तरह वहा भी इंग्लिश भाषा अधिक उपयोग में लाई जाती है
इस लिए वो भारत के साथ व्यापार में ज़्यादा अनुकूल होते है बजाए चीन के
.चीनी भाषा ,चीनी माल की बेकार गुणवत्ता और लोगो से नफरत करते है ज़्यादातर अफ़्रीकी लोग .
अभी ताज़ा उदाहरण है एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मात्र 2000 के लगभग वेंटीलेटर है पुरे अफ़्रीकी महादीप में वही आबादी 1 .35 बिलियन है तो वो देश लगभग सभी जीवन रक्षक दवा ,मास्क,किट , वेंटीलेटर की मांग कर रहे है तो आप अंदाजा लगा सकते है की बाजार किस कदर आप के लिए उपलब्ध है तो स्वामी विवेकानंद के कथन अनुसार उठो चलो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल हासिल ना हो तो यह उचित समय दुश्मन को दोहरी मार मारने का सीमा और बाजार पर एक साथ ,
बहुत अच्छा लिखा
ReplyDelete