*भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट कम होने के अभूतपूर्व मायने* "भारत की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत
" प्रो महीपाल सिंह (लेखक आर्थिक मामलों के जानकार) मौजूदा वित्त वर्ष के दूसरी तिमाही में भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट यानी CAD कम होकर GDP का 1% रह गया है। अप्रैल-जून तिमाही में यह 1.1% था। वहीं, एक साल पहले यानी वित वर्ष 2023 में CAD GDP का 3.8% था।
हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इसकी जानकारी दी है। 1% होने के बाद यह करीब ₹69 हजार करोड़ रह गया है, एक साल पहले की 3.8% की तुलना में 2.7% कम हुआ है।
RBI ने बताया कि साल-दर-साल सर्विस, सॉफ्टवेयर, बिजनेस और ट्रैवल एक्सपोर्ट में 4.2% की ग्रोथ हुई है। इसके चलते नेट सर्विस रिसीट (रसीद) बढ़ा है। इसका मतलब गुड्स और सर्विस सेक्टर में जितना पैसा बाहर से आया उसकी तुलना में कम पैसा देश के बाहर गया है।
*करंट अकाउंट डेफिसिट क्या होता है?*
यह किसी देश के टोटल इंटरनेशनल व्यापार का रिकॉर्ड रखने वाले कंपोनेंट बैलेंस ऑफ पेमेंट का एक पार्ट है। इसके जरिए देश यह पता लगाते हैं कि उनके देश से विदेशों में बेची गई वस्तुओं से कितनी आमदनी हुई और विदेशों से सामान इंपोर्ट करने में उन्हें कितना खर्च करना पड़ा।
अगर एक्सपोर्ट से कमाई गई आमदनी इंपोर्ट के लिए किए गए खर्च के मुकाबले कम होता है, तो इसे करंट अकाउंट डेफिसिट यानी चालू खाता घाटा कहते हैं। वहीं, अगर इंपोर्ट के लिए किया गया खर्च एक्पोर्ट से हुई आमदनी की तुलना में ज्यादा है तो इसे करंट अकाउंट सरप्लस कहा जाता है।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं...
मान लीजिए देश 'A' ने ₹1000 वैल्यू का ट्रेड किया। इसमें उसने देश 'B, C और D' से टोटल ₹600 की वैल्यू का इंपोर्ट किया और बदले में डॉलर दिया। जबकि देश 'E,F,G और H'को ₹400 के वैल्यू का एक्सपोर्ट किया और बदले में डॉलर लिया।
यहां देश A का ट्रेड बैलेंस यानी इंपोर्ट- एक्सपोर्ट के बीच का अंतर (600-400=200) ₹200 होगा। लेकिन, यहां देश A ने एक्सपोर्ट से ज्यादा इंपोर्ट किया है। इसलिए इसका ट्रेड बैलेंस नेगेटिव होगा यानी ₹200 के वैल्यू का ट्रेड डेफिसिट
करंट अकाउंट डेफिसिट का प्रभाव देश के इकोनॉमी, स्टॉक मार्केट और इन्वेस्टमेंट पर सीधा होता है। इसके कम होने पर यानी अगर इंपोर्ट की तुलना में एक्सपोर्ट ज्याद है, तो इससे देश में निवेश करने वालों का कनफिडेंस बढ़ता है और वो ज्यादा इन्वेस्ट कर पाते हैं।
इससे फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़ने के साथ-साथ लोकल करेंसी की वैल्यू बढ़ती है। वहीं अगर CAD ज्यादा है, यानी एक्सपोर्ट की तुलना में इंपोर्ट ज्यादा हुआ है, तो इस स्थिति में इसके उलट परिणाम होते हैं।
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